
हृदय रेखा का विवेचन करें: प्रचलित परम्पराओं के अनुसार, इस रेखा को किसी भी दिशा से पढ़ा जा सकता है, कनिष्ठिका से तर्जनी की ओर अथवा विपरीतक्रम से। विश्वास किया जाता है कि यह रेखा भावनात्मक स्थिरता, रूमानी दृष्टिकोण, विषाद एवं हृदय के स्वास्थ्य की द्योतक होती है। मूल विवेचन इस प्रकार हैं:
तर्जनी के नीचे से शुरू होती है तो – जीवन में प्रेम से संतुष्ट
मध्यमा के नीचे से शुरू होती है तो – प्रेम के मामले में स्वार्थी
बीच में से शुरू होती है तो – आसानी से प्रेम में पड़ जाते हैं
सीधी एवं छोटी – प्रेम में कम रुचि
जीवन रेखा को छूती है – आसानी से दिल टूटता है
लंबी तथा वक्र – अपनी भावनाओं एवं प्रेम का खुला प्रदर्शन
सीधी एवं मस्तिष्क रेखा के समानान्तर – भावनाओं पर कठोर नियंत्रण![]()
वक्र – अनेक संबंध एवं प्रेमी, गंभीर सम्बन्धों का अभाव
रेखा पर गोल चिन्ह – दुख एवं विषाद
टूटी हुई रेखा – भावनात्मक आघात
छोटी छोटी रेखाओं द्वारा हृदय रेखा को काटा जाना – भावनात्मक आघात