
विधि2
हाथ एवं अंगुलियों आदि का विवेचन

- हाथ का आकार देखें: हाथ का हर आकार चरित्र की किसी न किसी विलक्षणता का द्योतक होता है। हथेली की लंबाई कलाई से अंगुलियों के आधार तक नापि जाती है। मूल विवेचन इस प्रकार हैं:
- ”धरती” – चौड़ी, वर्गाकार हथेली, स्थूल तथा खुरदुरी अंगुलियाँ, सुर्ख रंग, हथेली तथा अंगुलियों की लंबाई बराबर होती है।
- सुदृढ़ मूल्य एवं ऊर्जा, परंतु कभी कभी हठीला स्वभाव
- व्यावहारिक एवं ज़िम्मेवार, कभी कभी भौतिकतावादी
- अपने हाथों से काम करने वाले एवं उसी में सुखी रहने वाले
- ”वायु” – लंबी अंगुलियों के साथ वर्गाकार अथवा आयताकार हथेलियाँ, कभी कभी बाहर को निकले हुये पोर, नीचे को दबा हुआ अंगूठा और शुष्क त्वचा; अंगुलियों की लंबाई से छोटी हथेलियाँ
- मिलनसार, बातुनी एवं हाजिरजवाब
- छिछला, ईर्ष्यालु एवं भावशून्य
- दूसरों से अलग एवं स्वच्छंद तरीके से कार्य करने वाला
- ”जल” – लंबी शंक्वाकार अंगुलियों के साथ, लंबी, कभी कभी अंडाकार हथेली; हथेली की लंबाई अंगुलियों की लंबाई के बराबर परंतु हठेली के सबसे चौड़े भाग की चौड़ाई से कम।
- सृजनात्मक, अनुभवी एवं संवेदी
- तुनकमिजाज, भावुक एवं संकोची
- अंतर्मुखी
- शांतचित्त एवं सहजज्ञान से कार्य करने वाला
- ”अग्नि” – वर्गाकार अथवा आयताकार हथेलियाँ, लाल अथवा गुलाबी त्वचा एवं छोटी अंगुलियाँ; अंगुलियों से लंबी हथेली
- सहज, उत्साही एवं आशावादी
- कभी कभी अहंवादी, मनमौजी एवं असंवेदनशील
- बहिर्मुखी
- निडरतापूर्वक, सहजज्ञान से कार्य करने वाला
- ”धरती” – चौड़ी, वर्गाकार हथेली, स्थूल तथा खुरदुरी अंगुलियाँ, सुर्ख रंग, हथेली तथा अंगुलियों की लंबाई बराबर होती है।