
जीवन रेखा की विवेचना करें: यह अंगूठे के निकट से शुरू होती है और धनुषाकार हो कर कलाई तक जाती है। यह शारीरिक स्वास्थ्य, सामान्य डील डौल तथा जीवन के महत्वपूर्ण परिवर्तनों (जैसे प्रलयंकारी घटनाओं, शारीरिक चोटों एवं स्थान परिवर्तन) को प्रतिबिम्बित करती है। इसकी लंबाई, आयु से सम्बद्ध नहीं है। मूल विवेचन इस प्रकार हैं:
अंगूठे के निकट रहती है – बहुधा थकान
वक्र – ऊर्जावान
लंबी, गहरी – उत्साही
छोटी एवं छिछली – दूसरों के बहकावे में आने वाला
अर्धवृत्ताकार चक्र – शक्ति एवं उत्साह
सीधी एवं हथेली के किनारे के सन्निकट – संबंध बनाने में सतर्क
अनेक जीवन रेखाएँ – अतिरिक्त जीवनशक्ति
रेखा में गोल चिन्ह – चोट अथवा अस्पताल में भर्ती होने के द्योतक हैं।![]()
रेखा भंग – जीवन शैली में परिवर्तन